Part-1
टाइटल्स पूरा होगया... सूर्योदय होगया , अमित की पत्नी अमित को जगाया। .. और हाथ में कोई कप देकर गुड मॉर्निंग केहड़िया... अमित तयार होगया... और वाकिंग जानेसे पहले मेहरा (अमित का दोस्त )का इंतजार किया। .. लेकिन ओ नेही आया। ... "शायद ओ सीधे पार्क को ही आजायेगा " ऐसा अपनी पत्नी से कहकर ओ पार्क चलागया...
पार्क में कुछ लोग जॉगिंग कुछ लोग योग और कुछ लोग लाफिंग थेरेपी कर रहा था.. लड़िकया लडके हाथ में हाथ डालकर बाते करते हुए चल रहे थे..
इतनेमे पार्क के बहार एक कार आकर खड़ा होगया.. उस गाड़ी के पीछे चार गाड़िया और आगया.. उन गाडियोमेसे सिक्योरिटी गार्ड्स बहार आगया और अमित की कार का डोर ओपन किया अमित नीचे उथार्गय। .. ओ सिक्योरिटी गार्ड्स अमित के आगे खड़ा होया.. अमित पार्क के भीतर जाना शुरू किया.. उनके पीछे उनकी पालतू कुळ रोनी भी आने लगा... पार्क में जाकर अमित वाकिंग करना शुरू करदिया। .. उसी वक्त महरा उधर पहुंचा। ...
मेहरा : "मुझसे नाराज तो नहीं होना मेरा दोस्त। ... "
अमित : " ऐसा क्यों भला... मई कुछ देर तुम्हारा राह देखा। .. और तुम सीधा पार्क आजाओगे ऐसा समझकर पार्क चला आया'
उसी वक्त कुछ लोग लाफिंग थेरिपी करना शुरू किया.. उनलोगोंको देखकर अमित और महरा खूब हसा..
महरा :" शायद इनलोगोंके घरों में भी इनको खुशी नहीं मिलता होगा"
अमित : " अरे दर्द का एहसास उसे भुगतने वालोंकोही पता चलेगा... हमें कैसे मालूमहोगा। .. "
मेहरा : "खैर छोड़ो ये बाथ.. लेकिन आजकल तू हसना बिलकुल बंदकिया.. "
अमित : "नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं..."
तभी अमित को एक फ़ोन आया.. फ़ोन पर अमितके बेठा बोला... " पापा.. आपको घर आने में डेरी तो नहीं लगेगी। .."
अमित :" नहीं बेटा नहीं मई अभी निकलूना.. "
अमित : " कल मिलेनेँगे मेहरा "
मेहरा :"हा दोस्त। ... जरूर "
अमित घर पहुंचकर अपनी पत्नी से पूछा। .... " आज तुम अपनी दवा खाली क्या। .... "
पत्नी : "नेहीजी अभी खालूंगा "
अमित : "तुझे अपनी सेहद की चिंता है भी या नेही। .. मई तुझे समझा समझाकर थकचुका हु.. और तुम तो सुनते ही नहीं हो... "
अमित गुस्से से अपने कमरे में चलागया.. और रिफ्रेश होकर डाइनिंग के पास आगया... अमितके बच्चे दामाद आकर नास्ता करके चलागया..
अमित सोचमे पड़गया... तभी उनका बेटा उधर आगया.. और पूछा.. " पापा आप क्या सोच रहेहो... "
अमित : "कखनेही बेटा। .. तुम्हारी माँ को नींद में कुछ तकलीफ होरही है। "
बेटा : माँ को कुछ नेही होगा पापा... आप इतना टेंशन क्यों लेरहे हो..."
अमित: " न बेटा ना। ... तेरी माँ हमसे कुछ छुपा रही है... उनको एक बार अस्पताल लेजाना पड़ेगा..."
बेटा.. " हांजी पापा.. "
इसके बाद अमित रोज की तरह ऑफिस चलागया.. और शाम को घर लोट कर अपना ग्रैंड चिल्ड्रन {grand children }के साथ कुछ वक्त बिताकर सोगया
Part 1 completed
Part 2
अगले दिन सुबह अमित वक्त पर पार्क पहुंचगया। ... वहा मेहरा से मिलकर वाकिंग शुरूकर दिया। ... उनके बीच इस तरह बात। ..
मेहरा : "तुम जो करनेको सोच रहे हो ओ मुझे ठीक नहीं लगा.. जायदाद के बटवारा अभी से क्यों भाई" इस बाथ को सुनकर अमित ने हसा। या देखकर अमितको हल्का सा गुस्सा आया...
महरा : भले आज मुझे देख तुझे हँसी आरहा होगा... लेकिन बाद में तुझे देखकर मै ना हसू इसका ध्यान रखना...." अमित फिर जोर से हस्ता हुआ, बेंच पर
बैट गया... और मेहरा को भी बैट ने का इशारा किया... तब अमितने वाटर बोतील का ढक्कन खोला, और मेहरा को पीने केलिए दिया..
तभी अमित ने बोला...
अमित : "थाकगया हूँ दोस्त.. बहुत थक गया... इस देशको आगे ले जाने की कोशिश करते करते बहुत थक गया.. अभी कुछ करने का नहीं लेकिन कुछ न कुछ ड़ देनेका सोच रहा हूँ... अब इस पार्क को ही देखो... हर उम्र के लोग है.. अभी इनजैसे लोगों के हाथ में पैसे देकर उनलोगोंका जरूरते पूरे करने का सोच में हूँ.. "
मेहरा ने हस्ता हुआ बोला.. " दुनिया अब डिजिटल होगया... इस जमाने में सभी को उसी हिसाबसे डिजिटल मनी देना पडेगाना... मगर तुम हाथ में देनेका बात कर रहे हो... "
ऐ सूनकर अमित अपना मुँह लटकाया... तभी मेहरा ने माफी माँगा...
उसी वक्त कुछ बुजुर्ग लोग। .. उधर से गुजरते हुए इन दोनोको बाई बोला... ऐ भी बाई बोल कर विदा किया..
अमित: उनलोगोंको देखकर तुझे क्या लगा..."
मेहरा : सब ठीक लगा.. दे आर रिलैक्सिंग..."
अमित : अरे... ऐसे कैसे स्पच रहे हो यार.. तुझे अभी भी बहुत कुछ जानना पड़ेगा... पगले "
महरा : तुम मेरा छोड़। .. अभी तुम्हारा फैसले का सोचो..
अमित उस सुझाव का नजर अंदाज किया.. हलके में लिया... "हां सोच्लुँगा यार।" ऐसा केह कर रोनी के साथ गाड़ी में अपना घर चला गया..
Part 2 completed